प्रधानमंत्री की सभा में सरकारी कर्मचारियों को जाना पड़ रहा है ताकि कुर्सियाँ भर सकें। लगे की लोकप्रिय प्रधानमंत्री को सुनने भीड़ आई है लेकिन जब वहीं सरकारी कर्मचारी हड़ताल करेंगे तो उस पर रोक होगी। चुनावी महीनों में वे ताली बजा सकते हैं मगर नारे नहीं लगा सकते। उम्मीद है यूपी के सरकारी कर्मचारियों में इसे समझने की चेतना बची होगी या क्या पता धर्म की राजनीति ने उनकी चेतना नष्ट कर दी है।
यूपी की उप-योगी सरकार का यह फ़ैसला अनुपयोगी है। मेरे उप-योगी लिखने का अभिप्राय यह है कि यूपी चुनाव के लिए मोदी ही मुख्य उपयोगी हैं। योगी जी तो केवल उप-योगी बन कर रह गए हैं। एक मुख्यमंत्री के लिए किसी प्रधानमंत्री ने कभी इतनी मेहनत नहीं की होगी। यूपी में बीजेपी के लिए मोदी उपयोगी हैं, योगी नहीं।
अमर उजाला की ख़बर की कतरन है। पहले पन्ने पर छपी है। उसी की तस्वीर है।
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