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Sitamarhi: बिहार में भ्रष्टाचार का नाला, 120 दिन में ही हो गया ध्वस्त

 


Bihar News: बिहार के सीतामढ़ी में चार माह पहले नाला ध्वस्त हो गया है। मामला सामने आने के बाद आम लोगों के साथ-साथ अधिकारी भी परेशान हो गए हैं। सभी के मन में एक ही सवाल है कि लाखों रुपये की लागत से बने नाला चार ही महीना में कैसे ध्वस्त होने लगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी योजना में किस हद तक भ्रष्टाचार है, इसका यह एक नमूना है।

सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी में सरकारी योजनाओं में किस हद तक भ्रष्टाचार है, यह किसी से छुपा हुआ नहीं है। योजनाओं की गुणवत्ता पर बराबर सवाल खड़े होते रहे हैं। ताजा मामला जिले के सोनबरसा प्रखंड से आया है, यहां पर लाखों की लागत से बने नाला मात्र चार महीने में ही ध्वस्त होने लगा है। उसकी गुणवत्ता की सच्चाई सामने आने लगी है। ग्रामीणों से डीएम मनेश कुमार मीणा को जब इसकी जानकारी मिली कि मात्र चार माह के अंदर ही सरकारी नाला ध्वस्त होने लगा है, तो वो आवाक रह गये। उन्होंने सरकारी योजना में इस हद तक के भ्रष्टाचार को काफी गंभीरता से लिया है और जांच को दो सदस्यीय एक टीम गठित कर दी है। टीम की रिपोर्ट पर भ्रष्टाचार करने वालों पर कठोर कार्रवाई तय माना जा रहा है। टीम जांच में जुट गई है।

क्या है योजना में गड़बड़ी का पूरा मामला

यह मामला सोनबरसा प्रखंड की दोस्तियां पंचायत के दोस्तियां गांव का है। गांव में पंचायत मद से चार माह पूर्व नाला का निर्माण कराया गया था। लाखों खर्च हुए थे। निर्माण के दौरान ही ग्रामीण यह मान कर चल रहे थे कि नाला कम दिन ही चल पायेगा। कारण कि कार्य को गुणवत्ता ठीक नहीं थी। लोग उसी दौरान डीएम से इसकी शिकायत करने का मन बना चुके थे, पर शांत हो गये थे। ग्रामीणों को नाला को लेकर जो आशंकाएं थी, वो अब सच साबित हो रही है। यानी गुणवत्ता की कमी के कारण नाला ध्वस्त होने लगा है। हालांकि इस नाला के निर्माण में गड़बड़ी करने वाले नहीं बचेंगे।

सड़क अतिक्रमण कर नाला निर्माण

इधर, उसी गांव में सड़क की जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया है, लेकिन प्रशासन अतिक्रमण खाली कराए बगैर सड़क किनारे नाला का निर्माण करा रहा है। इस कारण नाला में सड़क की जमीन चले जाने से सड़क की चौड़ाई कम हो गई है। नया नाला निर्माण विधान पार्षद डॉ रामचंद्र पूर्वे के कोष से कराया जा रहा है। इसके संवेदक गांव के ही जय किशोर साह ललित है। सड़क की जमीन को अतिक्रमण मुक्त नही कराकर सीधे नाला निर्माण कराना ग्रामीणों को कुछ अजीब लगा। यानी नागवार लगने पर ग्रामीणों ने सीधे डीएम से शिकायत कर दी। लोगों ने इस नये नाले की गुणवत्ता पर भी बड़ा सवाल खड़ा करते हुए डीएम को पूरे मामले की जानकारी दी थी। आवेदन में जो बातें लिखी थी, उसे डीएम ने गंभीरता से लिया और तत्क्षण जांच का आदेश जारी कर दिया।

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